सम्यक दर्शन की महिमा
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सम्यक दर्शन की महिमा Significance of Samyakdarshan. सम्यक दर्शन के बिना सब साधना अधूरी और अर्थहिन है। कुछ भी करके सम्यक दर्शन ने लिए पुरुषार्थ करना चाहिए। यह जैन साधना का प्राण है, जाने सम्यक दर्शन की महिमा मुनि श्री प्रमाण सागर जी द्वारा Share

महाविभूति अकलंक और निकलंक
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महाविभूति अकलंक और निकलंक Aklank & Niklank “अकलंक और निकलंक नामक दो भाई थे। अकलंक जिसे एक ही बार में याद हो जाता और निकलंक को दुबारा कहने से याद हो जाता है ऐसे प्रखर बुद्धि के धनी दोनों बालको में जिनधर्म के संस्कार थे। बचपन में ही ब्रह्मचर्य व्रत ले लिया था। इस बात…

जैन धर्म और अग्रवाल समाज
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जैन धर्म और अग्रवाल समाज Jainism & Agrawals Share

निर्माल्य क्या है?
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निर्माल्य क्या है? What is Nirmalya? Share

पंचकल्याणक महोत्सव का महत्व
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पंचकल्याणक महोत्सव का महत्व Significance of Panchkalyanak Mahotsava. जिन्होंने हमें आत्मकल्याणक का मार्ग बतलाया एवं स्वयं भी उस कल्याण मार्ग पर चलकर जन्म—मरण से रहित हुए, उन तीर्थंकर परमात्माओं के जीवन की वे पांच घटनाएं — गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान और मोक्ष के रूप में मानी जाती है, पंचकल्याणक कहलाती हैं। देव, विद्याधर एवं मनुष्यों…

सल्लेखना, समाधि मरण, संथारा क्या है?
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सल्लेखना, समाधि मरण, संथारा क्या है? What is sallekhana, samadhi maran, santhara? “सल्लेखना (समाधि या सथारां) मृत्यु को निकट जानकर अपनाये जाने वाली एक जैन प्रथा है। इसमें जब व्यक्ति को लगता है कि वह मौत के करीब है तो वह खुद खाना-पीना त्याग देता है। दिगम्बर जैन शास्त्र अनुसार समाधि या सल्लेखना कहा जाता…

मुनि के आगे १०८ क्यों लिखते हैं?
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मुनि के आगे १०८ क्यों लिखते हैं? Number 108 for Saints दिगम्बर साधु जिन्हें मुनि भी कहा जाता है सभी परिग्रहों का त्याग कर कठिन साधना करते है। मुनियों के नाम के आगे १०८ क्यों लगता है , इसके पीछे के कारण को बता रहे हैं मुनि श्री प्रमाण सागर जी Share

तीर्थंकरों के वस्त्र और भोजन कहाँ से आते हैं?
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तीर्थंकरों के वस्त्र और भोजन कहाँ से आते हैं? Food and clothes for Tirthankar Share

गुणायतन का उद्देश्य
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गुणायतन का उद्देश्य Foundation of Gunaytan Share

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