शत्रु को मित्र कैसे बनायें?
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शत्रु को मित्र कैसे बनायें? How to make an enemy your friend? कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनके मित्र से ज्यादा शत्रु होते हैं। यह शत्रुता किसी भी कारण से हो सकती है। ऐसे व्यक्ति को शत्रुओं द्वारा हानि का भय भी सताता रहता है। ऐसे में वे शत्रुओं से मित्रता करना चाहते हैं। शत्रुओं…

गुरू के आशीर्वाद का फल
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गुरू के आशीर्वाद का फल Fruits of Guru’s blessings जीवन में हम सभी का कोई न कोई गुरु होता ही है । मनुष्य को जीवनकाल में एक गुरु से जुड़ा होना भी चाहिए क्योंकि गुरु ही होते हैं जो हमें अपने आशीर्वाद से सही मार्ग दिखाते हैं । सही गलत की पहचान करना सिखाते हैं।में…

जीवन निर्माण में संस्कारों की भूमिका
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जीवन निर्माण में संस्कारों की भूमिका Importance of values in building our life जीवन में संस्कार की महत्वपूर्ण भूमिका है। जिस प्रकार नीव के बिना इमारत टिक नहीं सकती उसी प्रकार संस्कार जीवन की नीव है। जैसा संस्कार होगा वैसा जीवन बनेगा। सुनिए मुनि श्री प्रमाण सागर द्वारा जीवन निर्माण में संस्कारों की भूमिका। Share

नियमों का जीवन में महत्व
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नियमों का जीवन में महत्व Importance of resolutions in life नियम जीवन में एक मनुष्य की इच्छाओं पर बाँध का काम करते हैं।नियम एक व्यक्ति को नियमित रूप से जीवन निर्वाह करने का रास्ता दिखते हैं।सुनिए मुनि श्री प्रमाण सागर द्वारा नियमों का जीवन में महत्व। Share

जीवन में हमेशा बड़ा लक्ष्य रखें
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जीवन में हमेशा बड़ा लक्ष्य रखें Always set Big goals in life हमारी जिन्दगी का लक्ष्य क्या है ?? हमनें कहीं बार लोगो को कहते-सुनते हुए देखा होगा कि “पता नहीं हमारी जिन्दगी का उद्देश्य क्या है और हम क्यों इस दुनिया में आये है, अब जब भगवान् ने हमें पैदा कर ही लिया है…

बीमार मन का इलाज कैसे करें?
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बीमार मन का इलाज कैसे करें? How to treat ailing mind? बीमार तन का इलाज़ तो करना आसन है लेकिन बीमार मन का इलाज़ करना बहुत मुश्किल है, और बीमार मन बीमार तन से ज्यादा हानिकारक होता है – इस विडियो में मुनि श्री प्रमाण सागर जी बता रहे हैं बीमार मन का इलाज कैसे…

धार्मिक श्रद्धा और साम्प्रदायिक श्रद्धा में अन्तर
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धार्मिक श्रद्धा और साम्प्रदायिक श्रद्धा में अन्तर Difference in Religious and Communal faith Share

पुण्य संचय के लिए क्या करें?
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पुण्य संचय के लिए क्या करें? Formulas to accumulate Punya “पुण्य का अर्थ है आत्म तत्व की पवित्रता का बोध. मन की निर्दोष निर्मलता जहाँ होगी वहां की प्रकृति पुण्य होगी. पाप का अर्थ है मन की मलिनता और आत्मा पर पड़े धूल और बोझ जिसे जीव अपने पूर्व जन्मो और आज के जीवन में…

चिन्ता मुक्त रहने के सूत्र
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चिन्ता मुक्त रहने के सूत्र Unique formula to stay tension-free “आधुनिक जीवन शैली तनावों को बढ़ाती है। अध्ययन, व्यवसाय व नौकरी की प्रतिर्स्पद्धा, अन्य से आगे बढ़ने की इच्छा व सफलता की भूख, असफलता का भय तनावों को बढ़ा देता है। आधुनिक भौतिकवादी विचार धारा व भोजनपान की आदतें शरीर व मन की तनाव को…

परिग्रह को पाप क्यों कहा है?
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परिग्रह को पाप क्यों कहा है? Why is accumulation considered a sin? “आजतक जिन लोगों ने अपनी आत्मा को पवित्र-पावन बनाया है ये सभी सिद्ध भगवान अपरिग्रह महाव्रत का आधार लेकर आगे बढे हैं। उन्होंने मन-वचन-काय से इस महाव्रत की सेवा की है। अपरिग्रह- यह शब्द विधायक नहीं है, निषेधात्मक शब्द है। उपलब्धि दो प्रकार…

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