क्या अवधिज्ञानी देव, पृथ्वी के प्रियजनों के कल्याण के लिए कुछ करते हैं?
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क्या अवधिज्ञानी देव, पृथ्वी के प्रियजनों के कल्याण के लिए कुछ करते हैं? Do Awadhigyani dev help people? भगवान व देव अवधिज्ञानी होते हैं तो वे पृथ्वी पर अपने पूर्व परिवार या प्रियजनों के कल्याण के लिए कुछ कर सकते हैं? जानें कर्म सिद्धांत के स्वरूप से। Share

सूतक पातक में धार्मिक कार्यक्रम में सम्मलित हो सकते हैं?
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सूतक पातक में धार्मिक कार्यक्रम में सम्मलित हो सकते हैं? Participation in religious activities during Sua-Sootak सूतक पातक में क्या क्या धार्मिक कार्य कर सकते हैं? दूर रहने का वैज्ञानिक कारण क्या है? बता रहे हैं मुनि श्री प्रमाण सागर जी शंका के समाधान में Share

लौकिक शिक्षा के साथ धर्मिक शिक्षा भी जरुरी
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लौकिक शिक्षा के साथ धर्मिक शिक्षा भी जरुरी Balance between Worldly and Religious education आज के युग में लोग लौकिक शिक्षा के प्रति बहुत जागरूक हो रहा हैं, लौकिक शिक्षा व्यक्ति के निर्माण के लिए अत्यंत आवश्यक है लेकिन आज लोग धार्मिक शिक्षा को उतना महत्व नही देते है- सुनिए मुनि श्री प्रमाण सागर जी…

व्रत पूजा आदि कर्म काण्ड?
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व्रत पूजा आदि कर्म काण्ड? Is fasting and Worshipping Useless व्रत करना, पूजा आदि करना आत्मा की विशुद्धि है या मात्र कर्मकांड? इन क्रियाओं में भाव की कितनी प्रधानता रहती है और उसी अनुरूप कैसा फल मिलता है, समाधान मुनि श्री प्रमाण सागरजी से Share

ब्रह्म मुहूर्त में उठने के फायदे
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ब्रह्म मुहूर्त में उठने के फायदे Benefits of getting up in Brahm-murhut “सूर्योदय से पूर्व के प्रहर यानी मनोहर प्रहर में दो मुहूर्त होते हैं। उनमे से पहले मुहूर्त को ब्रह्म-मुहूर्त कहते हैं। उस समय मनुष्य की बुद्धि व ग्रंथरचना की शक्ति उत्तम रहती है, इसलिए इस मुहूर्त को ‘ब्रह्म’ की संज्ञा दी गयी है।…

सेवा भाव से होती है या क्रिया से?
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सेवा भाव से होती है या क्रिया से? Service should be with action or emotion? कोई भी परमार्थ/सेवा का कार्य करते समय किसे प्रधानता देना चाहिए? क्रिया को अर्थात अपने प्रयास को या भावों को? क्या सेवा करते समय हमारे मन के भाव कैसे होने चाहिए? जानें मुनिश्री के श्रीमुख से। Share

पुण्य और पुरुषार्थ
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पुण्य और पुरुषार्थ Punya and Efforts जीवन में पुण्य पुण्य कार्य तो अवश्य ही करने हैं, मगर पुण्य के सहारे पुरुषार्थ को नहीं छोड़ना है। पुण्य करने से हमारे भाव बदलते हैं और पुरुषार्थ करने से पुण्य करने की ताकत आती है। सुनिए मुनि श्री प्रमाण सागर जी के आशीष वचन। Share

धार्मिक कार्यों में पैसे व्यय करना उचित?
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धार्मिक कार्यों में पैसे व्यय करना उचित? Should we spend money in religious activities? आज के युवाओं को धार्मिक कार्यों में पैसा व्यय करना उचित नही लगता उन्हें लगता है की धार्मिक कार्यों की जगह सामाजिक कल्याण के कार्यों में पैसा व्यय करना चाहिए – सुनिए इस पर मुनि श्री प्रमाण सागर जी के विचार।…

अन्त समय में क्या सम्बोधें
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अन्त समय में क्या सम्बोधें What should be told at the last-time कहते हैं, अंत भला तो सब भला। जैनधर्म में अंत परिणाम के आधार पर अगली गति का अनुमान बताया है, तो जीवन व्यतीत करने के बाद जब व्यक्ति का अंत समय चल रहा हो तो उसे कैसे संबल दें, क्या संबोधें? जानें इस…

पुण्यतिथि का सच्चा अर्थ
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पुण्यतिथि का सच्चा अर्थ Real meaning of death anniversary जिस दिनांक अथवा तिथि को कोई दिवंगत होता, उस तिथि को हर वर्ष पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है। इस तिथि पर दिवंगत आत्मा को आत्मीय रूप से श्रद्धा-सुमन अर्पित किया जाता है। मुनि श्री प्रमाण सागर जी बता रहे हैं की हमे पुण्यतिथि पर…

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