सेवा भाव से होती है या क्रिया से?
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सेवा भाव से होती है या क्रिया से? Service should be with action or emotion? कोई भी परमार्थ/सेवा का कार्य करते समय किसे प्रधानता देना चाहिए? क्रिया को अर्थात अपने प्रयास को या भावों को? क्या सेवा करते समय हमारे मन के भाव कैसे होने चाहिए? जानें मुनिश्री के श्रीमुख से। Share

पुण्य और पुरुषार्थ
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पुण्य और पुरुषार्थ Punya and Efforts जीवन में पुण्य पुण्य कार्य तो अवश्य ही करने हैं, मगर पुण्य के सहारे पुरुषार्थ को नहीं छोड़ना है। पुण्य करने से हमारे भाव बदलते हैं और पुरुषार्थ करने से पुण्य करने की ताकत आती है। सुनिए मुनि श्री प्रमाण सागर जी के आशीष वचन। Share

धार्मिक कार्यों में पैसे व्यय करना उचित?
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धार्मिक कार्यों में पैसे व्यय करना उचित? Should we spend money in religious activities? आज के युवाओं को धार्मिक कार्यों में पैसा व्यय करना उचित नही लगता उन्हें लगता है की धार्मिक कार्यों की जगह सामाजिक कल्याण के कार्यों में पैसा व्यय करना चाहिए – सुनिए इस पर मुनि श्री प्रमाण सागर जी के विचार।…

अन्त समय में क्या सम्बोधें
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अन्त समय में क्या सम्बोधें What should be told at the last-time कहते हैं, अंत भला तो सब भला। जैनधर्म में अंत परिणाम के आधार पर अगली गति का अनुमान बताया है, तो जीवन व्यतीत करने के बाद जब व्यक्ति का अंत समय चल रहा हो तो उसे कैसे संबल दें, क्या संबोधें? जानें इस…

पुण्यतिथि का सच्चा अर्थ
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पुण्यतिथि का सच्चा अर्थ Real meaning of death anniversary जिस दिनांक अथवा तिथि को कोई दिवंगत होता, उस तिथि को हर वर्ष पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है। इस तिथि पर दिवंगत आत्मा को आत्मीय रूप से श्रद्धा-सुमन अर्पित किया जाता है। मुनि श्री प्रमाण सागर जी बता रहे हैं की हमे पुण्यतिथि पर…

कर्म सिद्धान्त में आशीर्वाद की भूमिका
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कर्म सिद्धान्त में आशीर्वाद की भूमिका Role of blessings in karma principles Share

शुभ-अशुभ कैसे जानें?
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शुभ-अशुभ कैसे जानें? How to distinguish auspicious and inauspicious? शुभ अशुभ संकेत – शुभ और अशुभ संकेतों में विश्वास हमेशा से हमारी सोच का एक हिस्सा रहे है. हम में से कई शुभ और अशुभ संकेतों को अच्छे भाग्य और विपत्ति के लक्षण में विश्वास करते हैं। सुनिए मुनि श्री प्रमाण सागर द्वारा शुभ-अशुभ कैसे…

पूजा विधान से कितना पुण्य मिलता है?
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पूजा विधान से कितना पुण्य मिलता है? Punya by following religious rituals विशि विशान के पूजा करने से पुण्य रूपी फल अवश्य प्राप्त होता है। पूजा के समय मनुष्य को सरल और विनम्र होना चाहिए। उसमे अहंकार कतई नहीं करना चाहिए। सुनिए मुनि श्री प्रमाण सागर द्वारा पूजा विधान से कितना पुण्य मिलता है? Share

पुण्य और धर्म में क्या फर्क?
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पुण्य और धर्म में क्या फर्क? Differentiate between Punya and Dharma वीतराग/सर्वज्ञ/हितोपदेशी भगवान द्वारा प्रणीत धर्म ही केवल सच्चा धर्म है, जो मोक्ष (उत्तम सुख) का मार्ग दिखता है।वहीँ पुण्य या पाप से हमारे कर्म बंधते हैं। सुनिए मुनि श्री प्रमाण सागर द्वारा पुण्य और धर्म में क्या फर्क?” Share

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