क्षमा माँगने से पहले क्षमा करें
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क्षमा माँगने से पहले क्षमा करें Forgive before asking for Forgivness क्षमा करो-और जाओ भूल कहा जाता है कि क्षमा वीरस्य भूषणम् अर्थात् क्षमादान समर्थ या शक्तिशाली व्यक्ति ही कर सकता है। किसी को क्षमा करने से पहले हमें यह सोचना चाहिए के हमें भी उनसे माफ़ी मांगनी चाहिए। सुनिए मुनि श्री प्रमाण सागर द्वारा…

पूजा या धार्मिक क्रियायें क्यों?
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पूजा या धार्मिक क्रियायें क्यों? Importance of prayers and religious rituals पूजा, पाठ, जप, ध्यान, अनुष्ठान आदि जो भी क्रियायें की जाती हैं, उनका मूल उद्देश्य परमात्मा के प्रति अपनी निष्ठा को गहरा करना होता है। आज युवाओं के मन में ये प्रश्न आता है की आखिर इन सबको करने की क्या जरुरत है इसी…

धार्मिक पाठशाला की आवश्यकता क्यों?
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धार्मिक पाठशाला की आवश्यकता क्यों? Importance of religious classes in life व्यक्ति के जीवन में जितनी जरूरत व्यावहारिक शिक्षण की होती है, उससे कई गुणा अधिक आवश्यकता संस्कारों के बीजारोपण करने वाली जैन धार्मिक शिक्षा की है, जो शिक्षा हमें धार्मिक पाठशाला के माध्यम से प्राप्त होती है। सुनिए मुनि श्री प्रमाण सागर द्वारा धार्मिक…

भक्तों की भक्ति से चमत्कार व क्षेत्र का विकास
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भक्तों की भक्ति से चमत्कार व क्षेत्र का विकास Share

तीर्थयात्रा कैसे करें?
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तीर्थयात्रा कैसे करें? How to perform pilgrimage? Share

क्या है वास्तविक सुख?
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क्या है वास्तविक सुख? What is real Happiness? मनुष्य जब तक उत्पत्ति-विनाशशील सुख में फँसा रहता है, तब तक उसको होश नहीं होता, ज्ञान नहीं होता। उसको यह विचार ही नहीं होता कि इससे कितने दिन काम चलायेंगे ! जो उत्पन्न होता है, वह नष्ट होता ही है। जिसका संयोग होता है, उसका वियोग होता…

साधुओं के प्रति श्रावकों का उत्तरदायित्व
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साधुओं के प्रति श्रावकों का उत्तरदायित्व The duties of a SHARAVK towards SAINTS Share

धर्म का मार्ग कठिन क्यों लगता है?
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धर्म का मार्ग कठिन क्यों लगता है? Why does religious path looks so difficult? धर्म का गंभीर स्वरूप समझना कठिन होता है। इसलिए धर्म मार्ग पर चलना कठिन है। धर्म हमारे आचरण व्यवहार में आना चाहिए। अगर मनुष्य मान,मोह,लोभ को छोड़ दे तो धर्ममार्ग पर चल सकता है। सुनिए मुनि श्री प्रमाण सागर द्वारा धर्म…

धर्म जीवन का सुरक्षाकवच
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धर्म जीवन का सुरक्षाकवच DHARMA:Life’s armour धर्म शब्द का वास्तविक अर्थ है वे नियम जिन पर चलने से समाज में नैतिकता व मानवता बनी रहे। धर्म है एक सुरक्षा कवच – मनुष्य नाम का प्राणी अनेक प्रकार की विभीषिकाओं के बीच खड़ा है। सुनिए मुनि श्री प्रमाण सागर द्वारा धर्म जीवन का सुरक्षाकवच । Share

किसी के कर्म से दूसरे के कर्म बदल सकते हैं?
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किसी के कर्म से दूसरे के कर्म बदल सकते हैं? Can someone exchange the karmas with someone else? Share

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