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माँ का मातृत्व

माँ का मातृत्व (मुनि श्री प्रमाणसागर जी के प्रवचनांश) एक दिन श्रीकृष्ण की माँ देवकी के घर में आहार के लिए दो चारण ऋद्धिधारी मुनिराजों का आगमन हुआ। देवकी ने…

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बाघ रूपी व्यसन

बाघ रूपी व्यसन (मुनि श्री प्रमाणसागर जी के प्रवचनांश) एक बार एक सेठ जंगल के रास्ते से जा रहा था, रास्ते में उसे एक बाघ का बच्चा दिखाई दिया। वो…

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छोड़ दो गलत ट्रेन को

छोड़ दो गलत ट्रेन को (मुनि श्री प्रमाणसागर जी के प्रवचनांश) एक बार एक युवक ट्रेन में सफर कर रहा था और अपने दोनों पैर के घुटनो पर सिर रखकर…

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शेर का कांटा

शेर का कांटा (मुनि श्री प्रमाणसागर जी के प्रवचनांश) यूनान में डायजनिस नाम का एक दास था। अपनी गुलामी से तंग आकर के एक दिन वो भाग गया। भागता-भागता वह…

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तिनके सी उलझन

तिनके सी उलझन (मुनि श्री प्रमाणसागर जी के प्रवचनांश) एक नदी सागर में मिलने की ओर अग्रसर थी और बहुत ही तेज़ धार के साथ बही जा रही थी। नदी…

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