क्या मुनि-महाराज राग, हास्य परिग्रह आदि से परे हैं? शंका मुनियों का अन्तरंग परिग्रह का त्याग होता है। परन्तु हास्य अन्तरंग परिग्रह में आता है। आचार्य श्री की जयमाला में…
कर्म घुमाता है, किंतु, क्या केवल कर्म ही घुमाता है? शंका हम पूजा में पढ़ते हैं, ‘जड़ कर्म घुमाता है मुझको, यह मिथ्या भ्रान्ति रही मेरी…।’ तथा गीता का उपदेश…
पाँचों कल्याणक केवल तीर्थंकरों के ही होते हैं? शंका २४ तीर्थंकर के तो पाँचों कल्याणक होते हैं, पर अनन्तानन्त सिद्ध भगवान मोक्ष जाते हैं तो उनके कल्याणक दो या तीन…
झाँकियों और फैंसी ड्रेस में मुनि महाराज, आर्यिकाजी का वेश धरना कितना उचित? शंका ऐसा देखा जाता है कि सुगन्ध दशमी के दिन मन्दिरों में जो झांकियाँ लगाई जाती हैं…