42वें भक्तामर श्लोक का अर्थ क्या है? शंका भक्तामर स्तोत्र जो मांगतुंग आचार्य द्वारा रचित है उसका यह काव्य:- वल्गत्तुरंग-गज-गर्जित-भीम-नाद- माजौ बलं बलवतामपि भूपतीनाम्। उद्यद्-दिवाकर-मयूख-शिखा-पविद्धं, त्वत्कीर्त्तनात्-तम इवाशु भिदा-मुपैति ॥ जिसमें…
द्रव्य श्रुत से भाव श्रुत की प्राप्ति करने के लिए क्या पुरुषार्थ करना चाहिए? शंका द्रव्य श्रुत से भाव श्रुत की प्राप्ति करने के लिए हम अज्ञानी जीवों को क्या…