ईर्ष्या और आलोचना

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ईर्ष्या और आलोचना
Criticism and Jealousy

ईर्ष्या रखने वाले इंसान दुसरो की सफलता देखकर कुढ़ते है, सफल इंसान से जलने लगते है, ” ईर्ष्या उस बाघ की तरह है जो ना केवल अपने शिकार को खाती है बल्कि उस ह्रदय को भी चीर देती है जिसमे यह बसती है ” हमें इर्षा और आलोचना से खुदको दूर रखना चाहिए तभी हम अपने जीवन में सुख की अनुभूति कर सकेंगे

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