शंका
जिस प्रकार तीर्थंकर भगवानों के अलग-अलग रंग होते हैं तो क्या उनके समय में उनकी प्रजा का भी वही रंग होता था?
समाधान
नहीं! जिस प्रकार का रंग तीर्थंकर भगवानों का होता था, वैसा रंग सभी का नहीं होता था। तीर्थंकर भगवानों का रंग अद्भुत एवं अद्वितीय होता है। जैसा हम कहते हैं –
यैः शांत-राग-रुचिभिः परमाणु-भिस्त्वं,
निर्मापितस्त्रि-भुवनैक-ललाम-भूत।
तावंत एव खलु तेप्यणवः पृथिव्यां,
यत्ते समान-मपरं न हि रूपमस्ति ॥१२॥
दुनिया के जितने अच्छे परमाणु होते हैं सभी उनके शरीर में लग जाते हैं। उनके जैसा दूसरा कोई नहीं होता।
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