शंका
दर्शन प्रतिमा और दर्शन विशुद्धि भावना में क्या अन्तर है?
समाधान
दर्शन प्रतिमा नैष्ठिक श्रावक का पहला भेद है, जो सम्यग्दर्शन के साथ गृहस्थ के योग्य आचार का पालन करता है। दर्शन विशुद्धि का मतलब सारे संसार के कल्याण की भावना से अनुप्राणित विशुद्ध सम्यग्दर्शन की प्राप्ति है। यह विश्व कल्याण की भावना से भरे हुए किसी-किसी जीव में होता है।
दर्शन प्रतिमा लेने से दर्शन विशुद्धि हो यह कोई जरूरी नहीं है, लेकिन जिसको दर्शन विशुद्धि होगी वह दर्शन प्रतिमा के योग्य भी हो सकता है, व्रती भी हो सकता है, अव्रती भी हो सकता है और महाव्रती भी हो सकता है।
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