लक्ष्मी भाग्य से मिलती है, सरस्वती परिश्रम से और मुक्ति-लक्ष्मी पुरुषार्थ से मिलती है, तो परिश्रम और पुरुषार्थ में क्या अन्तर है?
लक्ष्मी भाग्य से मिलती है, सरस्वती परिश्रम से और मुक्ति लक्ष्मी पुरुषार्थ से मिलती है। यहाँ परिश्रम और पुरुषार्थ में आपने अन्तर जाना है। देखा जाए तो परिश्रम भी एक पुरुषार्थ है लेकिन जब हम कोई कार्य बाहरी कार्यों के लिए करते हैं तो उसे मेहनत-परिश्रम के रूप में कर देते हैं और जो परिश्रम हम अपनी आत्म साधना के लिए करते हैं, उसमें परिश्रम नहीं पुरुषार्थ होता है।
परिश्रम और पुरुषार्थ में मुझे एक बारीक अन्तर यह भी दिखता है कि परिश्रम में श्रम करने से पसीना आता है, थकान होती है और पुरुषार्थ में किए गए जाने वाले श्रम से अन्दर का उत्साह बढ़ता है, थकान मिटती है। इसलिए मुक्ति हमें परम आनन्द को दिलाती है और सम्पत्ति हमें थका डालती है।
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