शंका
व्रत, नियम एवं संयम में क्या अन्तर है?
समाधान
व्रत, नियम और संयम तीनों अलग-अलग शब्द हैं और तीनों के अलग-अलग अर्थ हैं।
पापों के त्याग को व्रत कहते हैं और व्रत जीवन पर्यंत के लिए होता है।
नियम किसी वस्तु का एक निश्चित समय अवधि के लिए त्याग किया जाता है, ये व्रत के बाद भी होता है। पापों के त्याग के बाद भी नियम लिया जाता है, जो व्रतों के निखार के लिए होता है।
संयम का अर्थ है अपने जीवन के ऊपर नियंत्रण रखना, और इन्द्रियों के नियंत्रण के साथ-साथ प्राणियों की रक्षा का कार्य करना संयम होता है।
सबसे पहले व्रत होता है, फिर संयम होता है, नियम, व्रत-संयम के निखार का काम करता है।
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