अकृतिम चैत्यालय के परमाणुाओं का कभी नाश नहीं होता?

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शंका

अकृतिम चैत्यालय के परमाणुाओं का कभी नाश नहीं होता?

समाधान

अकृतिम चैत्यालय जो बने हुए हैं वे बने तो पुद्गल के परमाणुओं से है, परन्तु विशिष्ट प्रकार के परमाणुओं से। अकृतिम चैत्यालयों का नाश नहीं होता, इसका तात्पर्य यह मत समझना कि अकृतिम चैत्यालयों या अकृतिम संरचनाओं में जो परमाणु लगे हुए हैं वह अनादि-अनन्त काल तक उसमें टिके रहेंगे। मेरी दृष्टि में वे परमाणु उन अकृतिम चैत्यालयों या अकृतिम संरचनाओं में से निकलते रहते हैं और उतने ही परमाणु उसमें जुड़ते रहते हैं। इसलिए वे ज्यों के त्यों बने रहते हैं, सदाबहार बने रहते हैं। 

परमाणुओं का जुड़ना और झरना दोनों साथ-साथ चलता है क्योंकि वह पुद्गल है। जिसमें पूरन और गलन उसका नाम पुद्गल है। ऐसा मेरे पढ़ने में अभी तक नहीं आया कि में अकृतिम जिनालयों में विराजमान जिन प्रतिमाओं के सारे परमाणु अनादि-अनन्त काल तक वहीं के वहीं रहेंगे। उनमें परिवर्तन होता है, नए जुड़ते होंगे, पुराने हटते होंगे पर इस हिसाब से कि उसके मूल स्वरूप में कोई परिवर्तन न आये। पुद्गल परमाणुओं का झड़ना और जुड़ना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है।

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