क्या अवधिज्ञानी देव, पृथ्वी पर प्रियजनों के कल्याण के लिए कुछ करते हैं?

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शंका

देवलोक में सब अवधिज्ञानी होते हैं। जैसे अभी हमारी मृत्यु हुई और देवलोक में चले गए, तो क्या वहाँ पर हम अपने परिवार के कल्याण के बारे में सोचते हैं? क्योंकि देव तो अवधिज्ञानी होते हैं?

समाधान

आचार्य ज्ञानसागर जी महाराज से आचार्य गुरुदेव जब उनकी सल्लेखना के काल में वैय्यावृत्ति कर रहे थे तो एक दिन एक प्रश्न पूछा कि ‘गुरुदेव, आपने रत्नत्रय को धारण किया और निश्चित आपकी इस उत्कृष्ट सल्लेखना के बल पर आप वैमानिक देव में उत्पन्न होओगे। महाराज आप मुझे छोड़के चले जाओगे, स्वर्ग में आप तो साक्षात् भगवान की दिव्य वाणी सुनोगे, कभी मुझे संबोधने के लिए आओगे?’ किसने पूछा आचार्य गुरुदेव ने, अपने गुरुवर ज्ञान सागर जी महाराज से, ये प्रश्न पूछा- ‘क्या आप कभी मुझे संबोधने को आओगे?’ तो आचार्य महाराज के कहे मुताबिक ज्ञान सागर जी महाराज ने कहा ‘विद्यासागर जी! संसार की ये ही विचित्रता है, जो जहाँ जाता है वो वहीं रम जाता है, किसी को फुर्सत नहीं।’ तो तुम जिसके लिए रोते हो, वो तुम्हारे लिए नहीं रोएगा इसलिए कोई चले जाए तो रोना बंद कर दो। आदमी दूसरे के लिए नहीं रोता, खुद के लिए रोता है। कहते हैं ‘भगवान ने उनकी सुन ली’, उनकी नहीं सुनी, तुम्हारी सुनी कि वो चले गए, बला टली।

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