क्या पेड़ों में भी देवी देवता होते हैं?
पेड़ के नीचे लघुशंका आदि करने का निषेध हैं, उसे मानना चाहिए। हम देखते हैं पूरी प्रकृति में पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों प्रकार की एनर्जी रहती हैं। तो जहाँ नकारात्मक शक्तियाँ होती है वहाँ अगर इस तरह का कोई क्रिया अनुष्ठान करते है, तो कभी कभी इसके दुष्परिणाम सामने आ जाते है इसलिए इनसे बच करके चलना चाहिए। अगर नकारात्मक ऊर्जा वहाँ न हो, उसका हम पर कोई दुष्प्रभाव ना पड़े इस भाव से ऐसी क्रियाएँ की जाती है। अब इसको कई बार लोग व्यंतरों से जोड़ लेते हैं, कई बार देवी देवताओं से जोड़ लेते हैं, यद्यपि हमारे शास्त्र कहते हैं, जो इधर-उधर विचरण करते रहे वह व्यंतर है, तो हो सकते हैं पर ऐसा कोई नियम नहीं है।
पेड़ पौधों में अपनी शक्तियाँ होती है और कुछ पेड़ जैसे इमली का पेड़, बड़ का पेड़, पीपल का पेड़ इनमें अलग प्रकार की ऊर्जा का संचार होता है। इसमें मैंने एक बार पढ़ा था कहीं जरूरत से ज्यादा एनर्जी हो और वह हमें मिल जाए तो उसका रिएक्शन भी होता है। यह सब चीजें हैं तो इसको मैं ऐसा कहता हूँ कि ऊर्जा के विज्ञान के आधार पर भी इसे सोचा जा सकता है। इन सब चीजों को केवल ऊपरी बाधा मानकर टालना नहीं चाहिए। हम इन सबका ख्याल रखें और जो हमारी विधि और व्यवस्था बताई है उसी के अनुरूप चले।
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