हमें सामायिक, पाठ, पूजा आदि क्यों करनी चाहिए? क्या हमारे पाप इनसे कम होते हैं?
सामायिक, पाठ, पूजा ये सब हमारे सबकॉन्शियस माइंड (subconscious mind) को चेंज (change) करते हैं। हम अपने सबकॉन्शियस माइंड (subconscious mind) में जैसी फीडिंग (feeding) देते हैं वही हमारे कॉन्शियस माइंड (conscious mind) में आता है। जब तक हम अपने सबकॉन्शियस माइंड (subconscious mind) में कुछ पॉज़िटिव (positive) बातें फीड feed) नहीं करेंगे तब तक हम अपने कॉन्शियस माइंड (conscious mind) को ठीक कैसे करेंगे? तो यह एक प्रक्रिया (process) है, यह एक साधना है। साधना के बल पर हम अपने कुसंस्कारों का नाश करते हैं और कुसंस्कारों का नाश करना ही निर्जरा है, पाप का क्षय है। और शुभ संस्कारों को जमाना ही पुण्य का बन्ध है। इसलिए यह सारी क्रियाएँ मन लगाकर करनी चाहिए। इनसे जीवन का गुणात्मक परिवर्तन होता है, सोच बदलती है, अपने भीतर सहनशक्ति बढ़ती है, पॉज़िटिविटी (positivity) आती है। आप करके देखिए बहुत आनन्द आएगा।
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