क्या देश रक्षा के लिए सैनिक को भी पुण्य लाभ होता है?

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शंका

जिनका समाधि मरण होता है उनको तो पुण्य लाभ होता ही है, उनके पर भव भी सुधरतें हैं। लेकिन जो सैनिक देश रक्षा के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर करता है क्या उसे भी पुण्य लाभ होता होगा? क्या उसका भी भव सुधरता हैं?

समाधान

‘पद्मपुराण’ में लिखा है- “एक योद्धा अगर रणांगण में युद्ध के लिए जाता है, तो एक ओर उसके लिए विजय का सेहरा लिए उसकी धर्मपत्नी प्रतीक्षारत रहती है और दूसरी ओर स्वर्ग की सुरांगना! यदि लौटकर जीत कर आता है, तो उसकी धर्मपत्नी उसके माथे पर विजय का सेहरा रखती है; और यदि वीरगति को प्राप्त हो जाए तो स्वर्ग में सुरांगना उसका स्वागत करती है।” क्योंकि देश रक्षा धर्म रक्षा का आधार है और हमारे यहाँ रक्षा को हिंसा नहीं कहा गया। आज सीमाओं पर यदि सैनिक न हों तो हम-आप कोई सुरक्षित नहीं हैं। ऐसा कहा जाता है “जिस राज्य में राजा धर्म की व्यवस्था बनाता है उस राज्य के सभी तपस्वियों के पुण्य का एक बड़ा भाग उसको प्राप्त होता है” यदि इस दृष्टि से देखा जाए तो वे सैनिक भी कोई न कोई पुण्य कर्म कर रहे हैं।

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