क्या तिर्यंच और देव भी सल्लेखना लेते हैं?

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शंका

क्या तिर्यंच और देव भी सल्लेखना लेते हैं?

समाधान

तिर्यंचों के द्वारा और देवों के द्वारा भी सल्लेखना का विधान देखने में मिला है। तिर्यंचों के तो हम पुराणों में अनेक प्रसंग देखते ही हैं; भगवान महावीर ने शेर की पर्याय में सल्लेखना ली थी, राजा अरविन्द जो साँप की पर्याय में था उसने सल्लेखना धारण की, पुराणों में ऐसे अनेक प्रसंग है। 

तीर्थंकर पत्रिका में आज से कुछ वर्ष पूर्व छपा था “हाथी ने ली सल्लेखना”, तो यह सल्लेखना लेते हैं इनके सल्लेखना के उदाहरण मिलते हैं। ललितांग देव का आदि पुराण में एक प्रसंग आता है कि उन्होंने सब कुछ खाना पीना छोड़कर प्रायोग गमन सन्यास लिया था। यघपि देवो में साधना नहीं होती, देव लोक आराधक होते हैं। साधक यदि होता है, तो वो मनुष्य और तिर्यंच होता है। इसलिए यह जैन साधना का प्राण है, तो तिर्यंचों की अपेक्षा मनुष्य मुख्य रूप से सल्लेखना करते हैं।

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