क्या कल्याण मन्दिर स्रोत हिन्दी में पढ़ने से पुण्य मिलता है?
अगर संस्कृत का नहीं बनता, तो हिन्दी में पढ़ सकते हो, दोनों पढ़ो। संस्कृत पढ़ो और उसके अर्थ को समझकर के पढ़ो, तो पुण्य कई गुना होता है। लेकिन ऐसी बात नहीं है, कि भगवान को केवल संस्कृत ही आती हो। भगवान को सब भाषाएं आती हैं। जिस भाषा में आप पढ़ना चाहो तो आप पढ़ सकते हो, कोई बुराई नहीं है। श्रद्धा अच्छी होनी चाहिए।
एक बच्चा भगवान की प्रार्थना करने जाता था और कुछ बुदबुदाता था। एक युवक ने देखा कि यह क्या बुदबुदा रहा है। पता लगा कि वो अल्फाबेट (ABCDEF……) पढ़ रहा था। उससे पूछा कि ‘क्या कर रहे हो?’ बच्चा बोला कि ‘प्रार्थना कर रहा हूँ।’ वह युवक बोला कि ‘ये कैसी प्रार्थना है?’ बच्चा बोला कि ‘कुछ नहीं, मैं भगवान से जाकर ए से जेड (A to Z) तक सुनाता हूँ और भगवान से कहता हूँ कि भगवान दुनिया की जितनी भी प्रार्थना बनी हैं, वो इन्हीं अल्फाबेट से बनी हैं। मुझे प्रार्थना करनी नहीं आती, बस इतना पता है कि आप भगवान हो, आपकी प्रार्थना से जीवन तर जाता है। तो अल्फाबेट मैंने सुना दी, आप अपनी पसन्द की प्रार्थना बना लेना।’
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