क्या तत्वार्थ सूत्र का पाठ बिना अर्थ समझे पढ़ने में फल मिलता है?

150 150 admin
शंका

क्या तत्वार्थ सूत्र का पाठ बिना अर्थ समझे पढ़ने में फल मिलता है?

समाधान

कुछ तो पुण्य मिलता है। खूब पढ़ो, क्योंकि यह आचार्य की वाणी है, भगवान की वाणी है, इसमें जो कुछ भी लिखा है, उसी में हमारा कल्याण है। अगर श्रद्धा हो, तो फर्क पड़ेगा। 

पंडित जगन मोहनलाल सिद्धान्त शास्त्री की एक बहनजी थी रिश्ते में, वह पढ़ी-लिखी नहीं थी। पहली-दूसरी पढ़ी होंगी और वो षटखंडागम और कषायपाहुड को मूल से पढ़ती थी। जिनको ढंग से हिंदी नहीं आती, वह प्राकृत पढ़ती थीं। पंडित जी उनका मज़ाक उड़ाया करते थे कि तुम्हें कुछ आता नहीं तो मूल क्यों पढ़ती हो, हिंदी पढ़ो तो कुछ समझ में आयेगा, ऐसे पढ़ने से क्या फायदा? उन्होंने कहा कि- हम हिंदी क्यों पढ़ें? हम तो आचार्यों की बात पढ़ेंगे, यह तो पंडितों की भाषा है। जो आचार्य ने लिखा है हम उसको पढ़ेंगे, आचार्य की बात में मेरा कल्याण होगा तुम पंडितों की बात में मेरा कल्याण नहीं। पंडित जी ने ये बात खुद वाचना में कही थी कि वह हम लोगों से आगे निकल गई। उस महिला को अपने जीवन के अन्तिम ३ दिन पूर्व ही अपने जाने का पूर्वाभास हो गया और ३ दिन तक वह पूरी तरह अपने सारे वस्त्र आदिक सभी परिग्रहों का त्याग करके एकांत में उपवास पूर्वक सल्लेखना लिए दुनिया से चली गई, ये पुण्य मिलता है। श्रद्धा में बहुत ताकत है लेकिन उनके लिए, जिन को और कुछ नहीं आता। जिनको दुनिया की बातें आती है, उन्हें यह बात भी सीखना चाहिए।

Share

Leave a Reply