क्या मंदिर जी में ताली बजाने से जीव हत्या होती है?
मंदिर में क्या? बिना देखे ताली कहीं भी बजाओ तो जीव हत्या होगी, तो देखकर बजाओ | यह सब सूक्ष्म बातें हैं, जब ढोल बजाते हैं, नगाड़े बजाते हैं, वाद्ययंत्र बजाते हैं तो उसमें ताली भी तो एक है | ताली तब बजती जब मन में कुछ बजता है इसलिए ताली बजाओ, जयकारा लगाओ यह दोषप्रद चीजें नहीं है | हां, अगर संशोधन करो तो एक काम कर सकते हो | जब भी मन में कोई बात APPEALING लगे तो ताली ना बजा के जोर से जयकारा लगा दो | यह भी एक तरीका है और ऐसा लगाना चाहिए |
हम लोग मूलाचार पढ़ते हैं तो मूलाचार मे एक प्रसंग आता है, आचार्य अगर शिष्यों को संबोधन करे और शिष्य बिल्कुल मूरत की तरह, पुतले की तरह सुनते रहे तो आचार्य को मजा नहीं आएगा | वहां एक समाचार है – तथाकार, जो आचार्य उपदेश दे रहे हैं उसको शिष्य सुनकर कहे – महाराज आपने जो कहा वह बिल्कुल सही, बिल्कुल सही, बिल्कुल सही, यह प्रतिभाव आयेगा तब तब तो हमारे भाव होगे | अब तुम लोग मूर्ति की तरह सुनते रहो तो हमको क्या पता लगेगा कि सुन रहे हैं कि ऊपर से जा रहा है | जब बात अपीलिंग होती है तो उसका सत्कार करना ही चाहिए| यह तथाकार है इसमें कुछ बात नहीं है|
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