कई मन्दिरों में कहा जाता है कि यह मूर्ति चमत्कारी है, यहाँ रात को नाग-नागिन आते हैं और देव देवता यहाँ नृत्य करते हैं। क्या यह सत्य है?
दिव्याँश जैन, झोटवाड़ा
सत्य हो भी सकता है क्योंकि मन्दिर या देव स्थानों में देवी-देवता आते भी हैं। लेकिन सब जगह ऐसा हो ऐसा कोई जरूरी नहीं। लेकिन एक बात मैं सब से कहना चाहता हूँ कि जहाँ शुद्धता होती है वहीं दिव्यता आती है।अशुद्धि से बचिए और बचाइए। जितनी शुद्धता, जितनी पवित्रता आपकी होगी आपके मन्दिर की रिद्धि-सिद्धि उतनी ही बढ़ेगी। घर-परिवार में भी रिद्धि-सिद्धि को बनाए रखना चाहते हैं तो शुद्धि रखें। ‘सम्मेद शिखर जी’ में पहले बहुत शुद्धता थी। अनेक प्रकार के अतिशय घटित होते थे पर आप लोगों ने अपवित्रता इतनी फैला दी है कि वहाँ की रिद्धियाँ-सिद्धियाँ कम हो गईं है। मैंने जब ‘सम्मेद शिखर जी’ में पहली बार ‘पारसनाथ टोंक’ पर रात्रि में ध्यान किया था तो मुझे ग्यारह बजकर सैंतालीस मिनट से ग्यारह बजकर बावन मिनट तक लयबद्ध घंटों की आवाज सुनाई पड़ी थी।दिखाई कुछ नहीं पड़ा। मुझे लगा कि शायद मेरा भ्रम होगा पर मेरे साथ ब्रह्मचारी ‘अन्नू’ थे, मैंने उनसे पूछा, उसने भी कहा कि “हाँ आवाज़ तो आ रही है”। वो पाँच -सात मिनट की आवाज़, घंटी की धुन सुनाई पड़ी। कहाँ से आई? क्यों आई? कुछ समझ में नहीं आया। इसलिए ऐसा हो भी सकता है।
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