कहते हैं कि ‘जो होना है वह होके रहेगा, उसको कोई टाल नहीं सकता!’ जब पाप और पुण्य का कर्म होता है, तो क्या गुरु का आशीर्वाद मिलने से पाप कर्म पुण्य में बदल जाता है?
ये जो कहना है कि ‘जो होना होगा सो होगा और जो होना होगा वही होगा’, ये सत्य नहीं सत्याँश है। ये अधूरा सत्य है। इसको यदि अपने जीवन व्यवहार में उतारना है, तो यही समझो कि जब कभी कोई अघटित घट जाए और मन अधीर होने लगे, तो ये सोचो कि जो होना होता है वही होता है; और जब कोई काम करो तो ये सोच करके करो कि जो हम करेंगे वही परिणाम होगा।
जहाँ तक गुरु के आशीर्वाद से पाप के पुण्य परिवर्तित होने की बात है, इस सन्दर्भ में मैं इतना ही कहना चाहता हूँ कि गुरु के आशीर्वाद से पाप-पुण्य में बदलता है या नहीं ये मुझे नहीं पता, पर गुरु-भक्ति से पाप, पुण्य में ज़रूर बदल जाता है। अतः जब भी संकट हो, पापोदय हो, खूब गुरु भक्ति करो, उनका आशीर्वाद लो तुम्हारा पाप कटेगा और वह पुण्य में बदलेगा। दूसरी बात गुरु के आशीर्वाद से हमारा मनोबल बढ़ता है, आत्म-विश्वास जगता है, हृदय की विशुद्धि बढ़ती है। पाप काटने में ये तीनों आवश्यक निमित्त हैं।
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