शंका
भेद-विज्ञान से अनन्तानन्त पाप कर्मों का क्षय होता है, गृहस्थ कैसे भेद-विज्ञान को पुष्ट करें?
समाधान
भेदविज्ञान से अनन्तानन्त कर्मों का क्षय होता है ऐसे भ्रम में मत पड़ना। भेद-विज्ञानी अनन्तानन्त कर्मों का क्षय करता है पर क्षय किससे होता है? तपस्या एवं साधना से होता है! तो जब तक तपस्या और साधना नहीं करोगे, तुम्हें मुक्ति नहीं मिलेगी। भरत चक्रवर्ती को केवल ज्ञान हुआ, भले ही अंर्तमुहूर्त में हुआ, पर मुनि बनने पर हुआ, कपड़े उतारने पर हुआ। कपड़े पहने रहने पर नहीं हुआ तो किसी भी कर्म का क्षय तब होगा, जब तुम भेद-विज्ञानी बनकर साधना करोगे।
कोटि जनम तप करै, तप तपै ज्ञान बिन कर्म झरें जे।
ज्ञानी के छिनमाही, त्रिगुप्ति तें सहज टरै जे॥
Leave a Reply