शंका
भगवान आदिनाथ से लेकर भगवान महावीर तक सभी तीर्थंकरों की देशना क्या अर्धमागधी भाषा में ही खिरती है? प्रत्येक भगवान के समय क्या ब्राह्मलिपी होती है या कोई अन्य लिपि होती है? क्योंकि हर एक तीर्थंकरों के बीच में हजारों व लाखों वर्ष का अन्तर होता है।
समाधान
हमारे आगम और पुराणों में जो प्राप्त प्रमाण हैं उसके आधार पर भगवान की भाषा सर्वार्धमागधी होती है।
सर्वाध मागधियाः भाषाः मैत्रीय च सर्व जन्ता विषियाः। ये आचार्य पूज्यपाद ने लिखा है। सब भगवानों की सर्वार्धमागधीया भाषा होती है, जिसमें आधी अर्धमागधी और आधी सर्व भाषात्मक। और जहाँ तक ब्राह्मी लिपि का प्रकरण है, यह हमारे पुराणों के अनुसार भगवान ऋषभ देव से प्रवर्तित हुई और आज तक चल रही है।
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