क्या तीर्थ वन्दना करने से मन्दिर जाने की पूर्ति हो जाती है?

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शंका

क्या तीर्थ वन्दना करने से मन्दिर जाने की पूर्ति हो जाती है?

समाधान

मन्दिर जाना अलग काम है और तीर्थ वन्दना करना अपना अलग काम है। जो तीर्थ वन्दना कर रहे हैं, अच्छा कार्य कर रहे हैं, लेकिन मन्दिर भी जाएँ, कोशिश करें। तीर्थ-वन्दना करने वाले को मन्दिर जाने भी का प्रयास करना चाहिए। 

अब आप पूछो ‘क्या तीर्थ वन्दना करने से मन्दिर जाने की पूर्ति हो जाती है?’ पूर्ति नहीं होती, तीर्थ वन्दना का लाभ तीर्थ वन्दना जैसा है और मन्दिर जाने का लाभ मन्दिर जाने जैसा है। इसलिए मैं उन सब लोगों को कहना चाहूँगा कि आप मन्दिर भी जाएँ और तीर्थ वन्दना भी करें, ऐसा भाव जगाएँ कि रोज मन्दिर जाते-जाते आपको तीर्थ वन्दना के भी अच्छे अवसर मिलते रहें।

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