लव जिहाद से बचें?

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शंका

महाराजश्री, आजकल हमारे समाज की लड़कियों के लव जिहाद में फसने अथवा इसी प्रकार के अन्य अनैतिक गतिविधियों में संलिप्त होने की खबरें पढ़ने में आ रही है। हमें क्या उपाय करना चाहिए?

समाधान

देखिये, इस विषय में मैं कई बार बोला। प्रश्न आपका यह है कि लव जिहाद जैसे कुचक्र में हमारे समाज की बेटियाँ फस रही हैं और अन्य भी इस तरह के कुचक्र का वह शिकार बन रही हैं। इस दिशा में हमें क्या करना चाहिए? 

ऐसे कई बार बोला जब तक माँ-बाप जागते हैं तब तक काफी विलंब हो चुका होता है। अपने बच्चों के जीवन के प्रारंभिक दौर में ही उनके दिल दिमाग में इस बात को अच्छे तरीके से स्थापित करना चाहिए कि जीवनसाथी का चुनाव जीवन का एक बहुत बड़ा निर्णय है। तो समझ कर जीवन साथी का चुनाव करें। फिर इनमें कहाँ क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए वह हिदायतें भी उन्हें समय से पूर्व दे दें। यह सावधानी यह अपेक्षित है। ऐसी सावधानियाँ रख कर के अगर चलेंगे तो जीवन में परिवर्तन और बदलाव आएगा। इन दुर्घटनाओं से बचे। 

और फिर इसमें एक सबसे बड़ी कमी मैंने देखी है कि माँ बाप अपने बच्चों को पढ़ाई के नाम पर उच्च शिक्षा के नाम पर आगे बढ़ाने की तो सोचते हैं लेकिन उनके लिए जितना समय देना चाहिए वह नहीं दे पाते। उन्हें जो संस्कार देना चाहिए वह भी नहीं दे पाते। तो समय न दे पाने के कारण संस्कार न दे पाने के कारण और कई प्रसंगो में तो मैंने यह भी देखा है कि स्नेह ना दे पाने के कारण। माँ बाप अपने व्यापार धंधे में इतने बिजी होते हैं कि अपने बच्चों के लिए टाइम ही नहीं निकाल पाते। प्रायः कई वयस्क बच्चों से मैंने पूछा तो कहते हैं कि हमें तो अपने पैरंट्स से हफ्ता हफ्ता आपका बात करने का भी मौका नहीं मिलता। वह भी अपने में बिजी, यह भी अपने में बिजी। जब दोनों अपने अपने में बिजी हो जाएंगे तो फिर जीवन में परिवर्तन कैसे घटित होगा?  तो उस परिवर्तन को घटित करने के लिए आपका उनसे इंटरेक्शन जुड़ा रहे हैं, अपनत्व जुड़ा रहे। उनको समय दें, संस्कार दें। 

16 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के साथ आप अपना जो रिलेशन है, थोड़ा बदलें उन्हें बच्चे की तरह ट्रीट ना करें उन्हें मित्र की तरह ट्रीट करें। उन्हें मित्र मानें और उनसे ऐसी उन्मुक्तता से बात करें कि वह अपने जीवन की जो भी वैयक्तिक बातें हैं आपसे कहने में संकोच ना करें। आज यह होता है कि बच्चे सबको बातें बता देते हैं लेकिन माँ-बाप से ही छुपाते हैं अपने परिवार से छुपाते हैं। तो काफी विलंब हो सकता है। और इसके बड़े दुष्परिणाम आते हैं। तो यह जोड़ना जरूरी है और उनके धार्मिक भावनाओं को हमेशा उद्दीप्त रखने की आवश्यकता है। ऐसा करने से साधु संतों का संपर्क सानिध्य मिलने में उनमें बहुत बड़ा परिवर्तन आता है। यह सब चीजें देखकर के चलना चाहिए तभी समाज में बदलाव घटित हो सकेगा।

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