मन्दिर ही नहीं कण-कण में भगवान

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मन्दिर ही नहीं कण-कण में भगवान
God is everywhere

भगवान् तो कण कण में बस्ते हैं तो फिर हम मंदिर क्यूँ जाते हैं। बहुत सुंदर जवाब –. हवा तो धुप में भी चलती है पर आनंद छाँव में बैठ कर मिलता है। वैसे ही भगवान सब तरफ है पर आनंद मंदिर में ही आता है। सुनिए मुनि श्री प्रमाण सागर द्वारा मन्दिर ही नहीं कण-कण में भगवान।

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