अनेकान्त एवं स्याद्वाद – क्या होता है?
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जैन तत्त्वविद्या | अनेकान्त एवं स्याद्वाद – क्या होता है? Share

गुणस्थान क्या है?
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कर्म निर्जरा के ग्यारह स्थान (गुणस्थान के माध्यम से)
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प्रमत्त संयत, अपूर्वकरण, अनिवृत्तिकरण गुणस्थान
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सूक्ष्म साम्पराय, उपशान्त मोह, क्षीणमोह, सयोग एवं अयोग केवली गुणस्थान
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