व्रत उपवास के अगले दिन वस्तुएं बांटना कितना उचित?
यह सब कुरीतियाँ हैं, व्रत-उपवास हम अपनी आत्मा की शुद्धि के लिए करते हैं, दूसरों के स्वागत-सत्कार के लिए नहीं। इन आडम्बरों के जुड़ जाने के कारण कई लोग ऐसे हैं जो सामर्थ्य के अभाव में व्रत-उपवास ही नहीं कर पाते, इन सब को त्याग देना चाहिए।
मुझे सुनकर बड़ा आश्चर्य हुआ कि १० या ५ दिन के उपवास हो तो ठीक, जयपुर में १ दिन के उपवास में भी यह सब खटकर्म करने पड़ते हैं, यह कतई उचित नहीं है। जितने लोग भी व्रत उपवास करें, अपने अंदर एक संकल्प लें कि “मैं व्रत उपवास करुँगी/ करुँगा तो न लूँगा ना दूँगा”, मामला अपने आप ठीक हो जाएगा। यह झमेला ही खत्म, यह पाप है, अधर्म है, इससे कई लोगों को संक्लेश भी हो जाता है और पूरा ध्यान लेने- देने में चला जाता है। भूखे रहकर के यह सब कार्य करना ठीक नहीं। लंघन हो जाएगा, तुम्हारे व्रत का पुण्य क्षीण हो जाएगा। इसलिए ऐसी प्रवृत्तियों से अपने आप को पूरी तरह बचाना चाहिए।
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