बच्चें अपने चंचल मन को स्थिर कैसे करें?
मन तो सबका चंचल है, किसी का कम, किसी का ज्यादा ! लेकिन जिसका मन यहाँ-वहाँ भटकता है उसके लिए सबसे पहली आवश्यकता, तुम और तुम्हारे जैसे बच्चों को लक्ष्य बनाकर मैं कह रहा हूँ, कि अगर मन बच्चों का भटकता है, तो उन्हें अपने किसी एक मार्गदर्शक से समय-समय पर मार्गदर्शन लेना चाहिए और किसी संकल्प में बन्धना चाहिए। अगर अपनी माँ पर तुम्हारी श्रद्धा है, पिता पर श्रद्धा है, भाई – बहन, चाचा – चाची किसी पर भी तुम्हारी श्रद्धा है, ज्यादा जुड़ाव है, तो उनसे अपने दिल की बात कहो। जिधर भी तुम्हारा मन भटकता है उन्हें बिना कुछ छुपाये बताओ और उनसे मार्गदर्शन लो कि ‘मैं क्या करूँ?’ और वे जो मार्गदर्शन दें, गाइडलाइन दें, उन पर अमल करो। कुछ प्रतिज्ञाएँ करो जिससे तुम डगमगाने से बच सको, मर्यादाओं और सीमा को क्रॉस करने से बच सको। यदि ऐसा करोगे तो मन को भटकाने से बचोगे, कदाचित मन भटक जाएगा पर जीवन बर्बाद नहीं होगा।
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