शंका
पर घर फिरत बहुत दिन बीते, अनेक घर आए, कबहूँ न निज घर आये।
ये जीव अनादि काल से चतुर्गति में परिभ्रमण करता रहा है। अनेक पर्याय धारण की और अनेक घरों में किराये से रहा है उसको निज घर कभी प्राप्त नहीं हुआ है। निज घर कैसे प्राप्त होता है?
समाधान
किराये के घर का मोह छोड़ेंगे तो निज घर पाओगे, जिसको किराये के घर में ही आनन्द हो उसे निज घर कहाँ मिलेगा। निजघर पाने के लिए कुछ नहीं करना है पर घर से बाहर निकलना है। पर घर से बाहर निकलोगे तो निज घर में अपने आप प्रवेश हो जायेगा।
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