अगर मुझे पढ़ाई के लिए या फिर जॉब के लिए बाहर जाना पड़े तो मैं अपने माता-पिता का ध्यान किस प्रकार रख सकता हूँ?
पढ़ाई के लिए या जॉब के लिए बाहर जाना पड़े तो माता-पिता का हर पल ध्यान रखो। हर पल ध्यान रखते समय पहला तो ये ध्यान रखो कि ‘मेरे मां-बाप ने मुझे पढ़ाई के लिए भेजा है, मस्ती करने के लिए नहीं।’ हमेशा अपने मां-बाप की छवि को अपने सामने रखो कि ‘मां-बाप ने कितनी कठिनाइयों से मुझे पढ़ने के लिए भेजा है, वो मेरे खर्च की व्यवस्था कर रहे हैं, मेरी पढ़ाई की फ़ीस की व्यवस्था कर रहे हैं, मेरे स्वास्थ की चिन्ता कर रहे हैं।’ तो अच्छे से मन लगा करके पढ़ो ताकि उन्हें ढेर सारी खुशियाँ मिल सकें।
जॉब कर रहे हो तो जॉब के लिए बाहर जाना तुम्हारी मजबूरी है, जो कमाओ सब माँ-बाप को अर्पित कर दो क्योंकि ‘ये आपकी ही कमाई है, आपने मुझे इस लायक बनाया। ये आपका है, मेरा नहीं।’ और अपने आचार-विचार से अपने जीवन को इतना ऊँचा उठा कि तुम्हें देखकर तुम्हारे मां-बाप को गर्व की अनुभूति हो, यही उनकी सबसे बड़ी सेवा है।
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