शंका
भविष्य के तीर्थंकर, जो आज नारकी हैं, पूजनीय कैसे?
समाधान
जैन धर्म के अनुसार हम किसी के अन्दर की जो संभावनाएँ (possibilities) होती हैं, हमेशा उसको मानते है, भले ही, जिन्हें भविष्य में तीर्थंकर बनना है, वे आज नरक में हों। पर जब हम उनके प्रति धार्मिक दृष्टि से देखते हैं तो उनके नरक के रूप को नहीं देखते, हम यह देखते हैं कि आगे चलकर वे कहाँ जाएँगे। विकास करके जब वह मनुष्य बनेंगे या तीर्थंकर बनेंगे उस रूप की अपेक्षा से हम आज उनको पूजते हैं।
नारकी के रूप को नहीं पूजते, तीर्थंकर के रूप को पूजते हैं, जो यह संदेश देता है कि एक नारकी भी तीर्थंकर बन सकता है। इसका मतलब पतित से पतित प्राणी भी महान बन सकता है। इसलिए किसी से भी घृणा मत करो, सब का आदर करो, यथा योग्य आदर करो।
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