जो विद्यार्थी बाहर पढ़ते हैं, उनके सामने कई बार ऐसी दुविधायें आती है, जब किसी कार्य या क्रिया को देखकर अन्दर से लगता है कि ये गलत है, लेकिन फिर भी वहाँ के वातावरण को देखकर हम उसको करने लगते हैं, तो ऐसी दुविधाओं (situations) में अपने आपको संयमित कैसे करें?
ये तुम्हारी नहीं, तुम्हारे जैसे सारे विद्यार्थियों की परेशानी है। आज के शिक्षण संस्थानों का वातावरण है, उसमें भी उच्च शिक्षण संस्थानों का तो बहुत बुरा है। ज़्यादातर लोग वहाँ भटके हुए होते हैं, व्यसन और बुराइयों में पूरी तरह आकंठ लिप्त हो जाते हैं और वैसी जगह में उस माहौल को देखकर मन का उस तरफ झुकाव आ जाना स्वाभाविक है। लेकिन ऐसी जगह में अगर अपने आपको बचाना चाहते हैं, तो एक सुरक्षा कवच मैं दे देता हूँ। उस सुरक्षा कवच को पहन लोगे तो जीवन के किसी भी क्षेत्र में जाओगे, कभी नहीं डगमगाओगे। वो सुरक्षा कवच है तुम्हारे संकल्प का।
एक संकल्प लो, एक बाउंड्री लाइन खींच लो- ‘मैं लक्ष्मणरेखा का उल्लंघन नहीं करूँगा। प्राण निकल जाएं पर ये काम नहीं करूँगा।’ संकल्प क्या लेना है?- नॉनवेज को त्याग दो, नशे को त्याग दो, जब तक विवाह न हो तब तक के लिए ब्रह्मचर्य रख लो। दोस्ती की मर्यादा की लाइन खींच लो- ‘दोस्ती को मैं अफेयर नहीं बनने दूँ और कभी सुसाइड नहीं करूँ।’ अगर इतना संकल्प ले लें, तो जीवन में कभी भी कोई डगमगा नहीं सकता। दृढ़ता से संकल्प लेना होगा और ये हर युवक और युवती को अपने दिल, दिमाग में बैठा के रखना होगा कि ‘हम पढ़ाई करने के लिए आए हैं, मेरे माता-पिता ने कितनी मेहनत से मुझे यहाँ तक पहुँचाया है। आज मेरी पढ़ाई-लिखाई के लिए मेरे माँ-बाप को कितना-कितना श्रम करना पड़ता है, कितनी मुश्किल से, कितनी कठिनाई से वो पैसा कमाते हैं। मैं यहाँ आ करके अगर मौज-मस्ती में लग गया और पटरी से उतर गया, तो मेरा और मेरे परिवार का क्या होगा। ये मनुष्य जीवन कितना दुर्लभ है उसका क्या होगा?’
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