शंका
मनुष्य गति और तिर्यंच गति के चौथे और पांचवें गुणस्थानवर्ती जीवों को अवधि ज्ञान कैसे होता है? तीर्थंकर के अलावा सामान्य मनुष्य-तिर्यंच अपने ज्ञान का उपयोग कैसे करते हैं?
समाधान
शास्त्रों में विधान है कि तिर्यंचों को और मनुष्यों को अवधिज्ञान का सद्भाव होता है। सम्यक दृष्टियों को नाभि से ऊपर श्रीवस्त्र आदि अच्छे लक्षणों के माध्यम से होता है और मिथ्या दृष्टियों को नाभि से नीचे छिपकली आदि चिह्न उत्पन्न हो जाते हैं, उससे उत्पन्न होता है इसका और ज्यादा डिटेल उपलब्ध नहीं है।
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