सल्लेखना से मोक्ष की प्राप्ति किस प्रकार होती है?

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शंका

सल्लेखना से मोक्ष की प्राप्ति किस प्रकार होती है?

समाधान

सल्लेखना से मोक्ष उनको मिलता है, जो निर्दोष रीति से सल्लेखना करते-करते आत्मा के ध्यान में निमग्न हो जाते हैं। जिन को सल्लेखना की घड़ी में भी शुक्लाध्यान हो जाता है, वह पंडित-पंडित मरण करके मोक्ष जाते हैं। मैं यह कहूँ कि सल्लेखना से मोक्ष मिलता है, यह बात छोड़िये, अपितु जिनको भी मोक्ष मिलता वह सल्लेखना से ही मिलता है। बिना सल्लेखना के मोक्ष नहीं। समवशरण त्याग कर हमारे तीर्थंकर ने भी एक-एक माह का योग निरोध किया है। हर जीव की सल्लेखना की पद्धति अलग-अलग होती है। हमारे तीर्थंकर तो पहले ही आहार पानी से ऊपर उठ जाते हैं लेकिन वे अपने शरीर को छोड़ते समय आत्मसाक्षात्कार बनाये रखते हैं, यही तो सल्लेखना है। 

जो शुक्लाध्यान की विशुद्धि के साथ देह छोड़ें उन्हें केवल ज्ञान या मुक्ति की प्राप्ति हो सकती है और इसके लिये व्रज विषम नारादसेनन चाहिये। आज के युग में हम लोगों के साथ यह सुविधा नहीं है। लेकिन घबराने की बात नहीं है यदि निर्दोष रीति से कोई सल्लेखना करें तो उस भव में मोक्ष ना जायें चिंता मत करो, यहाँ से देव बनेगा, मनुष्य होगा और चरम शरीरी बनकर के उसी भव में मोक्ष जा सकता है। तो तीसरे भव में मोक्ष जाये या ज्यादा से ज्यादा सात आठ भव में मोक्ष जा ही सकते हैं, इसलिये ध्यान रखना सल्लेखना के बिना मुक्ति असंभव है और एक बार नहीं कई बार सल्लेखना करनी पड़ी। हमारे सारे तीर्थंकर भगवंतों ने पूर्व भव में प्रयोपगमन सन्यास लिया, तब उनको मोक्ष मिला। तो सल्लेखना तो हमारी साधना का प्राण तत्त्व है, इसे किसी भी तरीके से भूला नहीं जा सकता है।

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