जिन प्रतिमा में भव्यता कैसे आती है?

150 150 admin
शंका

मूर्ति की भव्यता में शिल्पी, प्रतिष्ठाचार्य और आचार्य भगवान का क्या योगदान होता है? एक मूर्ति कैसे भव्य बनती है?

भुवनेश जैन, अशोक नगर

समाधान

मूर्ति तो शिल्पकार बनाता है, और शिल्पकार में यदि कुशलता हो तो उसमें अतिरिक्त आकर्षण होता है। लेकिन हमारे यहाँ पुराने समय में ऐसा लिखा है कि शिल्पकार पाषाण को लेकर जिस दिन आता है, उस दिन से शिला की पूजा करता और जब तक प्रतिमा न बन जाए, तब तक ब्रह्मचर्य व्रत रखता हैं, संकल्पित होकर के काम करता हैं । महीनों ब्रह्मचर्य की साधना हो और वहाँ प्रतिष्ठाचार्य योग्य हो, सही विधि-विधान के साथ उस प्रतिमा की प्रतिष्ठा कराए, सही मुहूर्त में कराए तो उसका प्रभाव होता है। सूर्य मन्त्र देने वाले आचार्य की जितनी उच्च साधना और विशुद्धि हो, प्रतिमा पर उससे उतना ही प्रभाव पड़ता हैं। यह सब परस्पर में निमित्त बनते हैं लेकिन इन तीनों के अतिरिक्त कई जगह ऐसा होता है, जहाँ प्रतिमा में ऊपर से बहुत ज़्यादा आकर्षण नहीं है, फिर भी लोगों का उसके प्रति झुुकाव बहुत बढ़ जाता है। तो जिस जगह लोग विशेष श्रद्धा और भावना के साथ जिन प्रतिमा आदि को विराजमान करते हैं, उनके साथ भी ऐसी स्थिति बन जाती है।

Share

Leave a Reply