शंका
जीव अनादिकाल से संसार में परिभ्रमण क्यों कर रहा है और जीव मोहनीय कर्म का बन्ध कैसे करता है?
समाधान
जीव मिथ्यात्त्व के कारण मोहनीय कर्म का बन्ध करता है और मोहनीय कर्म के कारण ही चतुर्गति के दु:खों का पात्र बनता है। जब तक वह अपने मिथ्यात्त्व का शमन नहीं करता तब तक वह मोह के चक्र से मुक्त नहीं होता और मिथ्यात्त्व के शमन के लिए उसे असीम पुरुषार्थ की आवश्यकता होती है।
Leave a Reply