तीर्थंकरों का विहार, उपदेश आदि कैसे होते हैं?

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शंका

तीर्थंकरों का विहार, उपदेश आदि कैसे होते हैं?

समाधान

आचार्य कुन्दकुन्द देव ने कहा है कि तीर्थंकर भगवन्तों का एक ही स्थान पर रुकना, बैठना, विहार करना, धर्मोपदेश देना, यह सब नियोग से होता है, किसी की इच्छा से प्रेरित होकर नहीं। भगवान बुद्धि पूर्वक कार्य नहीं करते। यह सब कार्य सहज होते हैं, जहाँ जिसका जैसा नियोग होता है, उसी रूप में यह कार्य हो जाता है।

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