तीव्र पाप कर्म के उदय से आने वाला बड़ा कष्ट मन्द कैसे हो जाता है?

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शंका

तीव्र पाप कर्म के उदय से आने वाला बड़ा कष्ट मन्द कैसे हो जाता है?

समाधान

कर्म का फलदान द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव के अनुसार होता है। यदि व्यक्ति अपने अशुभ कर्म के उदय में है और उस समय वह अपने भावों को शुभ में लगा दे तो कर्म की शक्ति बहुत क्षीण हो जाती है, मंद हो जाती है, बहुत कुछ reduce (दुर्बल) हो जाता है और यह भी संभव है कि कर्म की सत्ता ही परिवर्तित हो जाए।

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