जैन धर्म को विश्व धर्म कहा जाता है, साथ ही जैन धर्म को हर युग के लिए प्रासंगिक भी माना जाता है। लेकिन जैन धर्म किस प्रकार से आतंकवाद की समस्या को मिटाने में उपयोगी हो सकता है एवं इसकी क्या सार्थक भूमिकायें हो सकती है? कृपया मार्गदर्शन करें।
जैन धर्म में प्रतिपादित आत्मावाद का विस्तार ही आतंकवाद को मिटाने का सुगम, सही एवं सरल तरीका है। जैन धर्म कहता है “सर्वभूतात्मवाद”अर्थात जिस प्रकार हम में प्राण है, वैसे ही सब प्राणियों में भी प्राण हैं। जैसे हम जीना चाहते हैं, वैसे ही सभी प्राणी जीना चाहते हैं। जैसे हमें सुख प्रिय लगता है, वैसे ही संसार के सभी प्राणियों को भी सुख प्रिय होता है। जैसे हम दुःख नहीं चाहते, संसार का कोई भी प्राणी दुःख नहीं चाहता। इसलिए हमारा परम कर्तव्य है कि “जियो और जीने दो”– हम स्वयं भी जियें और सबको जीने दें। यह सर्वभूतात्मवाद ही जैन धर्म का प्राण है, इसके विस्तार से आतंकवाद का अन्त हो सकता है।
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