शंका
भगवान के एक बार दर्शन करने से संसार चुल्लू भर प्रमाण बचता है, पर हम यात्री तो १२ घंटे देव-शास्त्र-गुरु के साथ है, तो हमारा संसार कितना बचेगा?
समाधान
अद्य में क्षालितं गात्रं नेत्रे च विमलीकृते।
स्नातोSहं धर्मतीर्थेषु जिनेन्द्र! तव दर्शनात्।।
अद्याभवत् सफलता नयनद्वयस्य
देव! त्वदीयचरणाम्बुजवीक्षणेन।
अद्य त्रिलोकतिलक! प्रतिभासते मे
संसारवारिधिरयं चुलुकप्रमाणम्।।
हे भगवान! आज मेरा शरीर प्रक्षालित हो गया, मेरे नयन विमल हो गए। आज आपके दर्शन करने से मैं स्नान कर गया हूँ। ये संसार सागर मुझे चुल्लू भर की तरह प्रतिभाषित हो रहा है। भगवान की भक्ति से ये संसार चुल्लू भर हो जाता है लेकिन जब भक्ति से बाहर आते है, तो फिर उस चुल्लू को दरिया बना देते है। लोग पुण्य करते है फिर पाप करते है, हिसाब गड़बड़ा जाता है। इसलिए एक बार भगवान की शरण में जाओ, तो केवल भगवान के हो जाओ।
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