व्रती को समाज एवं परिवार में समन्वय कैसे बनाना चाहिए?

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शंका

व्रती को समाज एवं परिवार में समन्वय कैसे बनाना चाहिए?

समाधान

सबसे पहले तो वह व्रती अपने लिए है, समाज के लिए नहीं। स्वयं को ऊँचा न माने। वो अपने तरीके से रहे। अपने घर में व्रत का पालन कर रहा है, समाज में एक अंग की तरह रहे। उसमें ज़्यादा कुतर्क न करे। समाज के चक्कर में इस तरह भी न उलझे कि अपने व्रत को भूल जाये।

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