राजनेता कैसा हो?

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शंका

यदि कोई राजनेता किसी आस्था विशेष से जुड़ा हुआ हो तो किसी भी प्रकार से उसी को प्रमोट करने के लिए और बाकी धर्म सम्प्रदायों को नीचा करने के लिए चेष्टा करता है। सदियों से ऐसा ही होता आया है। जबकि हमारे ग्रंथों में राजा को कहा गया है कि यह उसका धर्म है कि वह सब सम्प्रदायों को एक तरह से देखे। राजा के क्या कर्त्तव्य होने चाहिए?

समाधान

राजा के ४ कर्त्तव्य होते हैं:- उदार हो, प्रजा-वत्सल हो, धर्म रक्षक हो और पराक्रमी हो- वो राजा होता है। जो राजा उदार होगा वह सबको साथ लेकर चलेगा। उसके अन्दर आर्थिक रूप से ही उदारता नहीं, धार्मिक आदि सब प्रकार की उदारता होगी। प्रजा की रक्षा करना ही उसका धर्म होगा और धर्म की रक्षा के लिए सदा तत्पर रहेगा और इतना पराक्रमी हो कि किसी भी बड़ी से बड़ी शक्ति से अपनी प्रजा की रक्षा कर सकें। यह हैं राजा के लक्षण।

जो भी राजा और राजनेता हैं वे इस बात को समझें और इस तरीके से काम करें। लेकिन क्या करें, आज राजा की व्यवस्था तो है नहीं, लोगों को राज जरूर मिल जाता है। हालाँकि, वे जनता के सेवक के रूप में, एक प्रतिनिधि की हैसियत से चुने जाते हैं और भ्रम वश अपने आप को राजा मान लेते हैं और राज करते हैं। आज के तथाकथित ऐसे राजा बनने की मानसिकता रखने वाले लोगों का धर्म प्रजा को लूटना होता है, देश को लूटना होता है और अपना घर भरना होता है। जिस तरह की राजनीतिक विकृति आ गई है, चुनाव में जिस तरह से अन्धाधुंध खर्च होता है, उनके कारण यह सारी समस्याएँ बढ़ती हैं। हमें अपनी सांस्कृतिक पहचान को बनाते हुए उसी ढंग से काम करना चाहिए।

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