गुरु पूर्णिमा कैसे मनाएँ?
गुरु पूर्णिमा हमारे जीवन का बहुत मूल्यवान दिन है और उस दिन कोशिश करनी चाहिए जिन्हें सानिध्य मिले साक्षात गुरु की वंदना करें, पहली कोशिश करो गुरु चरणों में जाकर उनका आशीर्वाद लो, उनसे प्रेरणा लो और यदि साक्षात नहीं जा सकते तो परोक्ष में गुरु को स्मरण करके अपनी तरफ से उनके प्रति कृतज्ञता का भाव ज्ञापित करो।
गुरु चरणों में जाने का मतलब यह नहीं है की गुरु से हम कुछ पाने के लिए जा रहे हैं या गुरु को कुछ देने के लिए जा रहे हैं। गुरु चरणों में इस गुरु पूर्णिमा की तिथि में केवल इसलिए जाना चाहिए कि ‘हे गुरुदेव! आपने हमें पथ दिया, पद दिया, पाथे: दिया, हम आपके प्रति कृतज्ञ हैं। आपके उपकारों को कभी चुका नहीं सकते।’ परोक्ष बैठकर के आँखें बंद करके गुरु को स्मरण करो और कहो “हे गुरुदेव! मैं दिशाहीन था। आपने मुझे दिशा दे दी, दृष्टि दे दी। आप धन्य हो! आपने मेरे जीवन का उद्धार कर दिया। ऐसी शक्ति मिले कि हम आपके द्वारा बताए गए मार्ग पर चल सके और यदि कदाचित आपके द्वारा बताए गए मार्ग पर न चल सके, तो इतनी शक्ति तो हमें मिले, जिसका आपने निषेध किया है, वैसा कोई काम हम अपने जीवन में ना करें”,गुरु पूर्णिमा सार्थक हो जाएगी।
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