यदि किसी लड़की की शादी दूसरी जाति में होती है, तो वह ऐसा क्या करे कि जिससे उसका धर्म चलता रहे?
मैंने पहले भी कहा है कि उसकी गलती के लिए हम उसका बहिष्कार न करें, संस्कार दें। मेरे सम्पर्क में ऐसे अनेक लड़के और लड़कियाँ हैं जिन्होंने भावुकता में आकर के धर्म विरुद्ध विधर्म-विवाह किया और वह जीवन भर पछताये। फिर भी अगर ऐसा कर लिया है, तो एक गलती तो उन्होंने की, परिवार और कुल को खोया, कोई दूसरी गलती ऐसी ना हो कि धर्म को भी खो दें। तो वीतराग शासन के प्रति श्रद्धावनत रहें, देव-शास्त्र-गुरु की जितनी श्रद्धा भक्ति के साथ पूजा-आराधना कर सके, करें, दृढ़ता पूर्वक मिथ्यात्व के सेवन से बचे, अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देने का प्रयास करें। अब सवाल उनके द्वारा आहार देने, न देने का, ये विषय अलग है। हम लोग उनके प्रसंग और परिस्थितियों को देखते हैं कि आज यह स्थिति के लायक हैं या नहीं। अलग-अलग केस के हिसाब से अलग-अलग निर्णय लिया जाता है। पर हाँ, जिन्होंने ऐसा किया है, उनके माता-पिता अगर आहार दें, तो हम लोग परहेज नहीं करते हैं, पर उनके लिए हम लोग समझ-बूझ कर के ही निर्णय लेते हैं।
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