शंका
मैं वीर रस का कवि हूँ, उसमें नाश करने की, मारने की आदि बातें कही जाती हैं। क्या उसमें हमें पाप लगेगा?
समाधान
वीर रस का उल्लेख तो हमारे आचार्यों ने भी किया है पर उसका अन्त आध्यात्मिकता के साथ होना चाहिए, तभी हिसाब बराबर होगा, अन्यथा हिंसा का दोष लगेगा।
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