शंका
ऐसे क्या कार्य करें जिससे आत्मा का विकास हो और भेद-विज्ञान की दृष्टि बनी रहे?
समाधान
भावना भाओ, आत्म चिन्तन करो! आत्म-विकास और भेद विज्ञान की पुष्टि का यह दोनों सबल निमित्त हैं।
आचार्य कुन्दकुन्द ने सम्यक्त्व के निमित्तों में सबसे पहला निमित्त बताया है जिन- सुत्तम्! तत्त्व का चिंतन, आगम का अभ्यास और ध्यान! ये हमारे भेद विज्ञान को पुष्ट करने का साधन है। इससे हमारी सोच में बदलाव आता है, चिन्तन बदलता है, जीवन की धारा परिवर्तित हो जाती है। ऐसा प्रयास सतत करते रहना चाहिए।
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